मुझे कुछ शब्द चाहिए
जो खोल सके
मन में छिपे राज
जो साफ पानी से हो
कह सके इसकी उसकी
तेरी मेरी सबकी बात
सच्चाई को
दे सके बुलंद आवाज
छिन्न भिन्न कर दे
भीतर का अंधकार
तान दे रोशनी का वितान ।
मुझे कुछ शब्द चाहिए
जो अनिश्चय मिटा दे
फूटे वही स्वर
जो भीतर हो द्युतिमान
जो छिपने ना दे दिल की आवाज
घने अंधकार को चीरकर
दिखा सके सीधी सच्ची राह ।
मुझे कुछ शब्द चाहिए
जो मेरे अहं को मिटा सके
संशय की कालरात्रि की
भोर हो
न तुम रहो न मैं रहू
हम एक हो
चल सके एकसाथ
थामे हाथ में हाथ ।
मुझे कुछ शब्द चाहिए
जो राजनीति के अखाड़े में
खड़ी डरी सहमी मानवता को
शर्मसार होने से बचाए
सबके चेहरों पर लौट आए मुस्कान
मानवता की जय हो
डूब जाए तुच्छ अवसरवाद
हम साथ साथ बढ सके
गाए विजय के गान ।