नदी सुदूर क्षेत्रों से
बूँद बूँद संग्रह करके
हम तक लेकर आती है
जल की अमृत धार
नदी जीवनदायनी है ।
नदी बहती रहती है
अपने संगीत में खोई खोई
खेत खलिहानो को सीचती
शहरों को नहलाती धुलाती प्यास बुझाती
हमारा कूडा करकट समेटती
मल मूत्र औद्योगिक कचरा सकेरती
मरती हुई मछलियों की सडांध छिपाती ।
नदी बहती रहती है
वो शोभा श्री है
लोग आते हैं उसके किनारे
जीवन की थकान उतारने
शीतल जल में पैर डुबाकर
बैठे रहते हैं घंटों
थकान हर लेती है नदी
नदी मातृवत दुलारती है ।
नदी बहती रहती है
सुंदर जोड़े जल अटखेलिया
करते हैं नदी में ।