हर ओर तुम ही तुम
सुबह में तुम सुप्रभात के मंत्र सी
पूजा में अंजुरी में भरे पुष्प दल सी
नाश्ते में पराठे पर मक्खन सी
कालेज में क्लास की विषयवस्तु सी
दोपहर के खाने में हरी सलाद सी
चाय में घुली हुई हल्की मिठास सी
सांझ के धुंधलके में जगमगाती तारिका सी
रात्रि में थकावट को सोख लेने वाली मीठी झप्पी सी
तुम यहाँ से वहाँ तक मीठी तान सी
तुम मेरे अंग अंग में व्याप्त चेतना सी
सर्दियों की गुनगुनी धूप सी
बहुत धन्यवाद
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आपका आभार
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बहुत सुंदर।
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धन्यवाद
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