राजधानी की कुछ सड़कें
मौत की खबरों के केन्द्र में
असावधानी वश दुर्घटना की
भेंट चढते हैं कुछ युवा लोग ।
गाय डेरा जमाए है
सड़क के बीचोंबीच
गोबर फैला है
साथ में सब्जी और फ्रूट वाले का
ठेला खड़ा है
फ्रूटचाट सजी है
गोलगप्पे वाले का
यही पर ठिकाना है
हमारी ही सरकार है
पूरा अधिकार है
कौन हमें रोकेगा ,कौन हमें टोकेगा ।
आटो का स्टैंड है
रिक्शा का ठीया है
चाय की दुकान है
पानवाला मेहरबान है
सस्ती दरों पर मौत लुटाता है
हर कामवाला इसी से
खैनी,गुटखा,बीड़ी,तम्बाखू और पान
खाकर …..फ्री में थूकता है
पिच्च से…. ..पीक फैलाता है
बिल्डिंग मैटीरियल का सामान
रोड़ पर पड़ा है
उस पर बैठे ..अधलेटे कुत्ते गुर्राकर
इलाका का परिचय कराते हैं।
अव्यवस्था और अराजकता का बढ़िया चित्र खींचा है।राजधानी की सड़कें कड़वा सच बयान कर रही हैं। व्यंग्य ज़ाहिर हो रहा है।
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धन्यवाद
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