उमस भरा दिन
बीतता नहीं
बोझिल सा अहसास लिए
आँगन में घूमता हूँ ।
ज़ज्बात घने गहरे
कुछ है जो
बीतता नहीं समय के साथ
ठहर गया हूँ
समय की संधि वेला में ।
जमीन पर फैले
सूखे पत्ते
हवा के संग सरसराते हैं
पत्तों के हट जाने पर
साफ साफ नजर आया
मिट्टी पर
अंगुलियों से उकेरा गया
तुम्हारा नाम
विस्मृतियों के सूखे पत्तों ने
उसे छा लिया था ।
अं
Mind blowing
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति