प्रातःकाल की बेला में,
जब सूर्य अपनी अरुणिमा से
रंग देता हैआकाश ,पहाड़
पेड़,नदी,बाग,बगीचे,खेत खलिहान
प्रकृति के मनोरम दृश्यों के बीच
पक्षी गाते हैं प्रेरणा के गीत ।
नदी की निर्मल जलधारा
पत्थरों से आलिंगनबद्ध होते हुए
स्नेहासिक्त करती हुई
गुनगुनाती है प्रेरणा का गीत ।
खेतों की ओर जाते किसान
गाय, बैल ,भैंस और बकरी को
चारा खिलाती उसकी पत्नी की
पायल से जगता है प्रेरणा का गीत ।
प्रातःकाल की मंद मंद समीर
अपने स्पर्श से सबको जगाती हुई
कली कली,फूल फूल की गंध समेटे
वसुधा के कण कण में जगाती है
प्रेरणा का गीत ।
प्रातःकाल तुम्हारा दर्शन
नवजीवन का संचरण
मेरे प्राण प्राण में
गुंजा देता है
प्रेरणा का गीत ।
बहुत सुंदर
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धन्यवाद
बहुत आभार
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