बंदिशों से ज़िदगी यूँ तार तार हो गयी
मैं न बोला ,तू न बोली,हँसी सारी खो गयी ।
याद करके तुमको,रोया हूँ मैं बार बार
आँख में पानी नहीं अब,भर गया गर्द गुबार ।
शहर भर में चली चर्चा,तेरे हुस्न मेरे प्यार की
रौशनी का दरिया है तू,मैं ठहरी हुई रफ्तार हूँ ।
Bhut khub
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Thanks
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