ठिठक गये हैं कदम
रास्तों में
गहरी धुंध छाई है ।
शर्मीली सी
हठीली सी
अबूझ सी
दिशाओं ने
ओढ लिया है
धुंध का घूंघट ।
दिग्भ्रमित सा
खड़ा हूँ
प्रतीक्षा में
निश्शब्द ।
ठिठक गये हैं कदम
रास्तों में
गहरी धुंध छाई है ।
शर्मीली सी
हठीली सी
अबूझ सी
दिशाओं ने
ओढ लिया है
धुंध का घूंघट ।
दिग्भ्रमित सा
खड़ा हूँ
प्रतीक्षा में
निश्शब्द ।