धूप में फैला दिया है
कुछ सींंझी हुई यादों को
कि उनमें लौट आए
खनकती ताजगी ।
ओँस बूंदों सी झलमल लिए
कुछ नयी पुरानी यादें
अभी मैंने रखी संभाल
कविता की पुस्तक के बीच ।
फिर से लौट आओ ना
कि कुछ और जगह
खाली है यादों की कोठरी में ।
खनकते नोट सी हँसी
कानों में ढरक जाए
और चैन से मैं
निहार सकूं सूरजमुखी सा
तुम्हारा मुखमंडल ।
सुंदर यादे
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आपका हार्दिक धन्यवाद
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बहुत खूब।
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बहुत बहुत धन्यवाद
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