बस यूहीं
निहारता रहा रास्तों की ओर
न उसने आना था
और ना आई
फिर भी
बस निहारता रहा ।
फोन पर
कई बार नजर डाली
लगता है कोई संदेश आएगा
बार बार देखा
बस यूहीं
लगता है जैसे अभी अभी
कोई संदेश आया है
पर नही आना था
नही आया ।
भादों की कड़कती धूप है
बादलों की चहलकदमी सी
बरसात की झड़ी सी
लगनी थी
नही लगी
सुबह से शाम होती रही
बस यूहीं
बेसबब बस इंतजार है ।
Ye haqikat h
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Thanks
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My pleasure
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