शब्दों के कोश में
कसमसाते शब्द
अभिव्यक्ति के लिए बाट जोह रहे हैं ।
जो मैंने कहा वह
हवा में तैरता रहा
सम्प्रेषित नहीं हुआ ।
आंखें जो कह रही थी
वो होंठों ने कहा नहीं
कानों ने वो सुना
जो मैंनें कहा ही नहीं ।
यूंही इच्छित सुनने की प्रतीक्षा में
कब से खड़ा हूं ।
शब्दों के दूसरी तरफ खड़े
व्यक्ति के पास
असमंजस का पहाड़ा है।
भाव और अभाव की दुविधा में
घिरे हर व्यक्ति के पास
उलाहनों का अम्बार है ।
प्यार में विश्लेषण
तर्क का पैमाना
भाव का अभाव है ।
कानों में कोई निराश गीत
गूंज रहा है ।