चलो बहक जाऊं थोड़ा
हवा के संग संग
हो जाऊं थोड़ा आवारा
बिखर जाऊं थोड़ा सा
समेट लूं बदगुमानियां थोड़ी सी
धूप संग थोड़ा तप लूं
जुबान में टेढ़ापन
नीयत में पलट जाऊं
दोपहर सा जुलसाऊं
लूं की तरहां
सांझ संग अतरंगी
पी कर लड़खड़ा लूं थोड़ा
जी भर कर कोस लूं
ज़माने भर को
थोड़ा सा बदनाम हो जाऊं
उतार दूं भलेपन का लबादा
थोड़ा सा अंधेरे का हमनाम हो जाऊं
बहुत रह लिया सयाना बनकर
थोड़ा अनाड़ी हो कर ही
शायद उसे नजर आऊं।