चुनाव की हलचल है
हाथ जोड़े चलता है
झुकता है
चरण स्पर्श करता है
माता जी, पिताजी
बहिन जी ,भाई जी
सबसे बड़े सम्मान से मिलता है।
सबका मिला साथ
बन कर प्रधान
सत्ता की हनक में
कंधा चौड़ा कर चलता है
ऐंठी हुई रस्सी सा अकड़ता है
फ़ालतू सा फुदकता है।
देखता इधर है
बात उधर करता है
आदमी को आदमी नहीं
गधे सा गिनता है
लकदक सफेद पर
कल्फ़ की खड़ खड़ है
जूते पर क्रीम पालिश की
चमक चम चम है।
दिल की बात ।यथार्थ चित्रण ।👌
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद जी।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सटीक और सार्थक रचना
पसंद करेंपसंद करें
बहुत बहुत धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें