बरसात को छत पर देखा
यह एक नया अनुभव नहीं था
यह सामान्य थी
बूँद सहज वेग से गिर रही थी
यह अब यू ही आती है बिना वेग के
जैसे कोई मजबूरी हो बरसना
उचाट मन से
शापित सी
आज के प्रेमी सा है इसका स्वभाव
एक गर्लफ्रेड के साथ होने पर
दूसरी का ध्यान आता है
न इसका रहता है न उसका हो पाता है
तन्मयता न यहाँ न वहाँ
कैसी उचाट हो गई है जिन्दगी
आज की बरसात सी।