जब जब मै तुम्हारी ओर आया
बंद मिला दरवाजा
खिड़कियाँ बंद
परदों का सख्त पहरा
मैं तुम्हारे घर के सामने
पार्क में टहलता रहा
अजनबी होने काअहसास लिए
तुम्हारे आने की उम्मीद के साथ
घंटों के इंतजार के बाद
मैंने महसूस किया कि
अभी गर्मी का मौसम खत्म
नही हुआ है
उमस में पसीने से बदहाल
बार बार मैंने अपने फोन को देखा
शायद तुम फोन करो
भेजो कोई संदेश
What’s up,facebook पर कोई अपडेट
कितना उदास हूँ
कहीं न कहीं
कोई राजनीति है
संबंधों के फलक पर
चल रहा है कोई चाल
कितना बुरा है मेरा हाल
दिल्ली की हवा की तरह
तुम्हारा मूड
कब बदल जाए भगवान जाने ।
समझ के सिलसिले बाकी हैं अभी………….चलते रहेंगे।
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आभार
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कल्पनाशीलता अच्छी है, विषय भी व्यापक हैं प्रस्तुति भी चित्ताकर्षक है बस समय के अनुरुप कार्य जारी रखें शुभकामनाएं 🌹🌷🌹
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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमूल्य है ।
आभार
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