मैं फिर लौट आऊगां
बादलों की तरह
गरज गरज कर
अपनी प्रेम वर्षा करने ।
हवाएँ सारी तपन सोख लेगीं
मंद मंद सहलाती सी
चाहतों को जगाती हुई
मिठास घोलती सी
आगे बढ़ जाएगी ।
मिट्टी मे छिपी महक सी
तुम यही हो
मेरे अंतर्मन की प्यास …..
मैं फिर लौट आऊगां
बादलों की तरह
गरज गरज कर
अपनी प्रेम वर्षा करने ।
हवाएँ सारी तपन सोख लेगीं
मंद मंद सहलाती सी
चाहतों को जगाती हुई
मिठास घोलती सी
आगे बढ़ जाएगी ।
मिट्टी मे छिपी महक सी
तुम यही हो
मेरे अंतर्मन की प्यास …..