हवा के झोंके की तरह
सब कुछ ठहर सा गया है
पत्ता तक नहीं हिल रहा
बादल घिर गए
बिजली भी कड़की
पर बूंद तक ना गिरी
उमस से पसीने पसीने
बस …….बुरा हाल है ।
बस की इंतजार मे खड़ा हूँ
घंटों में एक आती है
ठसाठस भरी हुई
बड़ा ही मुश्किल है अंदर चढ पाना
गज़ब की धकामुकी से होकर अंदर पहुंच जाता हूँ
गर्दन उचकाकर गहरी सांस लेता हूँ
आधी लड़ाई जीत लेता हूँ
दफ्तर जाने की ।
चेहरा पोंछकर बालो को हाथों से संवारता हूँ
गहरी सांस लेकर आश्वस्त सा होता हूँ
शायद आज समय पर पहुंच जाउंगा
अफसर की चुभती नजरों से बच पाउगांं
पर बस तो रुक गई है
आगे बहुत जाम है
शहर तंग हाल है
सड़क छोटी लग रही है ।
आवाजें ही आवाजें सुनाई आ रही है
एक के उपर दूसरी आवाज छा रही हैं
ना सुर है न ताल है
बस बुरा हाल है
आवाजों के जंगल में
गुम होता जा रहा हूँ
मुझे सुनाई पड़ने लगी है
अफसर की झिड़कियाँ
नए नए संबोधन
गुम होता जा रहा है मेरा वजूद
न मैं यहाँ हूँ न वहाँ हूँ
न सुन पा रहा हूँ
न समझ पा रहा हूँ
असमंजस से घिरा हूँ
न ओर है न छोर है
बस गतिरोध ही गतिरोध है ।
सुंदर मुखरित शब्द👌👌👌👌
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धन्यवाद
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आपका हार्दिक धन्यवाद
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