हे उद्धव !
मायानगरी के सिंहासन के
मोहपाश में आबद्ध
तुम्हारी आंखों पर
कैसा आवृत है ये
कि तुम देवेन्द्र , नरेंद्र
कि सत्संगति और
शाह कीअमित
मंत्रणा का त्याग कर
शरद और सोनिया के
कुटिल कुचक्र में फंसे
जरासंध की सभा में
मिले सम्मान से इतरा रहे हो।