बिखर गया हूं रेत सा
यूंही इस रास्ते पर
शायद तुम लौट आओ
मन बदल जाए किसी दिन
देखने की इच्छा हो आए
पुराने छूट गये रास्ते के खंडहरों की ।
बिखर गया हूं रेत सा
यूंही इस रास्ते पर
शायद तुम लौट आओ
मन बदल जाए किसी दिन
देखने की इच्छा हो आए
पुराने छूट गये रास्ते के खंडहरों की ।
बहुत खूब।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति